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Saturday, 12 January 2013

नया कदम-बफर सिस्टम


आप माने या न मानें,यह हमारे लिए सबसे बड़ी आफत वर्तमान में विद्यमान व प्रचलित बुफे की दावत हैइसमें एक दिन हमें भी एक बारात में जाना पड़ासभी के सभी बाहर शो पीस की तरह खड़े थेमगर क्या करें,भाई साहब सभी के सभी भूखे थे,जैसे ही खाने का सन्देश आया मैंने भी जाकर नंबर लगायाहाल में भगदड़ सी मच गयी.पांडाल में एक के ऊपर एक बरसने लगे,जिसने झपट लिया पा गया,बाकी के खड़े तरसने लगेमैंने देखा तत्पर थे दस,देखकर सोच लिया अब खा लिया बस                        एक व्यक्ति हाथ में प्लेट लिए इधर से उधर चक्कर लगा रहा था,खाना लेना तो दूर उसे देख भी नहीं पा रहा थादूसरा अपनी प्लेट में चावल की तश्तरी झाड लाया था उससे कही ज्यादा कपडा फाड़ लाया थातीसरी एक महिला थी जो ताड़ के वृक्ष की तरह तानी थी,उसकी आधी साडी पनीर में सनी सनी थीचौथा बेचारा गवांर था,कपडे उतारकर पहले से ही तैयार थापाचवा अकेले ही सारे झटके झेल रहा था,भीड़ में अटके एक आदमी से खेल रहा थाछठा कल्पना में ही खाना खा रहा था,दूसरे की थाली देख खुद अपना मुख चला रहा थासांतवे का ईश्वर ही मालिक था,प्लेट उसके हाथ में परन्तु खली थाआँठवा इन हरकतों से परेशां था,क्योंकि बीवी बच्चो से अधिक प्लेट पर ध्यान थानवां अजीब हरकते कर रहा था,खाना खाने की बजाय अपनी जेब में भर रहा थादसवां स्वयं लड़की वाला था साथ में मुख खोले स्वयं उसका साला था.घराती वाले तो सारे खाने पर अड़े थे,बेचारे बाराती बुरा हाल देख बिस्तर पर ही पड़े थे