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Thursday, 10 January 2013

उल्लू का सपना

एक पेड़ पर एक उल्लू का घर था उसी पेड़ के नीचे एक हाथी भी रात गुजारने आया करता था। धीरे-धीरे दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। एक शाम हाथी भोजन की तलाश में दूर निकल गया और वह राक्षसों की एक दावत में घुस गया। हाथी को देखकर राक्षसों का राजा चिल्लाया “यह वही है यह वही है।”



राजा के सेवक पूछने लगे यह कौन है महाराज? राक्षस राजा ने कहा कि कल रात मैंने एक सपना देखा था जिसमें मैंने एक हाथी का भोजन बनाया। यह हाथी देखने में बिल्कुल वैसा ही लग रहा है। इसे पकड़ लो मैं इसे खाउंगा ताकि मेरा सपना सच हो सके।

सभी राक्षसों ने राजा की आज्ञा का पालन किया और हाथी को पकड़ लिया। हाथी इतना डरा हुआ था कि उसने खुद को छुड़ाने की कोशिश भी नहीं कर पा रहा था। हाथी के पैर बांध दिए गए तभी राक्षस अपनी पत्नी के साथ हाथी के सामने आया।

उधर जब उस पेड़ के नीचे हाथी नहीं पहुंचा तो उल्लू  उसे ढूंढता हुआ वहीं पहुंच गया जहां हाथी बंधा हुआ था। उल्लू उड़ता हुआ नीचे आया और वहां की सारी बातें सुनकर उसको सारा माजरा समझ में आ गया।

उल्लू “यह वही है यह वही है” कहता हुआ हाथी के सर पर बैठ गया। राक्षस राजा ने गुर्राते हुए उल्लू से कहा-तुम किस की बात कर रहे हो? उल्लू ने कहा रानी की। कल रात मैंने सपना देखा कि मैंने रानी से शादी कर ली है। कृपया अपनी रानी की शादी मुझसे करा दीजिए ताकि मेरा सपना सच हो जाए। राक्षस रानी घबरा गई बोली मैं एक उल्लू से कैसे शादी कर सकती हूं। यह सुन राक्षस राजा ने कहा कि तुम्हें इससे शादी करने के लिए कोई नहीं कह रहा है। यह तो इसका सपना था , सपनों को कभी गंभीरता से लिया जाता है क्या।

राक्षस राजा फिर आगे बोला-देखो यह वही हाथी है जिसे मैंने सपने में खाया था। लेकिन मैं अब इसे छोड़ रहा हूं। यह सुनकर हाथी अपने आप को छुड़ाकर जल्दी से भागा और अपने दोस्त का शुक्रिया अदा किया।              विनय मिश्र "शर्मा "

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